सावधान, समय से पहले ही दिल्‍ली पहुंच गया है डेंगू

सावधान, समय से पहले ही दिल्‍ली पहुंच गया है डेंगू

सेहतराग टीम

आमतौर पर दिल्‍ली में बारिश शुरू होने के बाद डेंगू के मच्‍छर सक्रिय होते हैं। इसलिए हर साल ये बीमारी जुलाई से लेकर नवंबर तक दिल्‍ली में फैलती है मगर इस वर्ष डेंगू के मामले तेज गर्मी में ही सामने आने लगे हैं। आधिकारिक रूप से दिल्ली में इस साल डेंगू के कम से कम नौ मामले सामने आ चुके हैं।

सोमवार 13 मई को जारी नगर निगम की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। आमतौर पर डेंगू के मामले जुलाई से नवंबर के बीच सामने आते हैं। दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा एकत्र आंकड़ों के अनुसार पिछले साल डेंगू के 2,798 मामले सामने आए थे और इस बीमारी के कारण चार लोगों की मौत हो गई थी। दक्षिण दिल्ली नगर निगम इस संबंध में शहर के आंकड़े एकत्र करता है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मई में एक, अप्रैल में दो, मार्च में चार और फरवरी तथा जनवरी में एक-एक मामला दर्ज किया गया। इस साल 11 मई तक मलेरिया के चार मामले सामने आए हैं। अप्रैल में एक और मई में तीन मामले सामने आए हैं। वहीं इस साल अब तक चिकनगुनिया के भी पांच मामले दर्ज किए गए हैं। तीन साल पहले च‍िकनगुनिया ने दिल्‍ली समेत देश के कई राज्‍यों में आतंक मचा दिया था मगर पिछले दो सालों से चिकनगुनिया के नगण्‍य मामले देखने में आए थे। इस साल बारिश के मौसम से पहले ही इसके पांच मामलों का सामने आना खतरनाक संकेत दे रहा है।

डॉक्टरों ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है कि वे अपने आसपास मच्छरों के लार्वा को नहीं पनपने दें और पूरी बांह के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का उपयोग करें। इस्तेमाल नहीं होने पर वाटर कूलर को सुखाने की भी सलाह दी गयी है।

गौरतलब है कि डेंगू के सामान्‍यत: चार स्‍ट्रेन मच्‍छरों के द्वारा फैलते हैं। किसी व्‍यक्ति को यदि डेंगू का एक स्‍ट्रेन एक बार हो जाए तो उस स्‍ट्रेन के प्रति उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है। इसका सीधा सा अर्थ है कि डेंगू का वो स्‍ट्रेन दोबारा होने की आशंका बेहद कम हो जाती है। मगर शेष तीन स्‍ट्रेन उस व्‍यक्ति को हो सकते हैं। यानी किसी व्‍यक्ति को पूरे जीवन में डेंगू से कम से कम चार बार प्रभावित होने का खतरा बना रहता है।

दूसरी ओर चिकनगुनिया का केवल एक ही प्रकार का प्रसार होता है। अगर किसी व्‍यक्ति को एक बार च‍िकनगुनिया हो गया तो उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है और फि‍र पूरी जिंदगी उसे ये बीमारी होने की आशंका नहीं होती। यही वजह है कि च‍िकनगुनिया यदि एक बार महामारी की तरह फैल जाए तो उसके बाद कई वर्षों तक उसका प्रकोप शांत रहता है क्‍योंकि अधिकांश आबादी उससे प्रतिरक्षित हो जाती है। ये बीमारी दोबारा तभी महामारी के रूप में फैलती है जब मरीजों की नई पीढ़ी तैयार हो जाती है।

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